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    इसलिए घर वापस आना पड़ा, अब कभी भी परदेश नहीं जाउंगा

    गांवों में रोजगार नहीं मिलने पर गया जिले के सैकड़ों लोग दिल्ली, गुजरात, जयपुर सहित अन्य राज्य और जिलों में प्राइवेट कपंनी में नौकरी एवं मजदूरी करते हैं। दो माह पूर्व तक परदेश में रहकर सभी की अच्छी खासी जिदगी गुजर बसर हो रही थी। लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हर कोई अपने घर के लिए रूख करने को मजबूर हो गया। 
    कोई वाहनों से लिफ्ट लेकर तो कोई पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर गांव पहुंचा। जितेंद्र बताते हैं कि कभी महाराष्ट्र के नासिक के पीपल गांव रोड पर अंगूर तो कभी दिल्ली में मिठाई की पैकिग करता था। 10 से 12 हजार रुपये प्रति माह मिल जाता था। इसके अलावा खाना और ठहरने का मालिक ही खर्च उठाता था। लेकिन वहां तेजी से बीमारी फैल रही थी तो लॉकडाउन में खाना भी मिलना नसीब नहीं हो रहा था। इसलिए घर वापस आना पड़ा। अब कभी भी परदेश नहीं जाउंगा।

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