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    मंत्री ने कहा- लोगों ने पानी बचाने की जिम्मेदारी नहीं समझी, तो चेन्नई और बेंगलुरु, केपटाउन बन जाएंगे

    नई दिल्ली. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शक्तावत ने बुधवार को कहा- अगर लोगों ने पानी बचाने की जिम्मेदारी नहीं समझी, तो भारत की जनसंख्या के बड़े हिस्से को इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने होंगे। मंत्री ने चेतावनी दी कि हालात नहीं सुधरे. तोचेन्नई और बेंगलुरूकेपटाउन बन जाएंगे।

    2017-18 में केपटाउन में भीषण जल संकट पैदा हो गया था।दक्षिण अफ्रीका की राजधानी में पानी लगभग खत्म हो गया था। इसके बाद वहां “डे जीरो ” योजना शुरू की गई थी। इसके तहत हफ्ते में एक बार शहर के सारे नल बंद किए गए, ताकि लोगों को जल संरक्षण की अहमियत समझ आ सके। भारत में भी बढ़ते शहरीकरण, जनसंख्या विस्फोट और कमजोर जल प्रबंधन के चलते नल सूखने लगे हैं। बेंगलुरु में भूमिगत जलस्तर में गिरावट आ रही है और झीलों का पानी झाग भरा और जहरीला हो रहा है। बड़ी आबादी को पाइप लाइन से पानी नहीं मिल पा रहा है और वे पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। चेन्नई और दूसरे महानगरों की हालत भी इससे कुछ अलग नहीं है।

    नदियों की पूजा करते हैं, तब भी जल स्रोत प्रदूषित

    शेखावत ने कहा, “प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता आजादी के समय 1,540 क्यूबिक मीटर से घटकर 5,000 रह गई है। अगर इसमें आगे भी गिरावट आती रही और जनसंख्या में बढ़ोत्तरी होती रही, तो बंगलुरु और चेन्नई ही नहीं, बल्कि भारत की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा।” उन्होंने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पूर्व चेयरमैन जस्टिस स्वतंत्र कुमार के हवाले से कहा कि देश में लोग नदियों की पूजा करते हैं, इसके बाद भी यहां जल स्रोत सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं।

    संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद जिम्मेदारी नहीं समझी जाती

    उन्होंने आगे कहा- भारत में औसतन 1, 068 मिमी बारिश होती है और साल इससे 4, 000 क्यूबिक मीटर पानी मिलता है, तब भी देश में पानी की कमी है। दूसरी तरफ, इजराइल में साल भर में 100 मिमी बारिश ही होती है, इसके बावजूद वहां पानी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है और संसाधनों का निर्यात किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद, देश में जल और पर्यावरण संरक्षण को लेकर उस तरह की जिम्मेदारी देखने को नहीं मिलती, जो देश में आजादी के पहले अलिखित सांस्कृतिक मूल्यों के चलते मौजूद थी।

    भूजल पर निर्भरता के मामले मेंभारत दुनिया में पहले स्थान पर

    उन्होंने कहा, “आज भारत में लोग कर्तव्यों के मुकाबले अधिकारों के बारे में ज्यादा बात करते हैं, लेकिन यह लोगों और उद्योगों की जिम्मेदारी है।” उन्होंने आगे कहा कि जब तक लोग प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षक थे, तब तक सब-कुछ ठीक था। जब से लोगों ने खुद को प्रकृति का मालिक समझना शुरू किया, तभी से समस्या शुरु हुई। जल संरक्षण की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत भूजल पर निर्भरता के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है। हमारी कुल भूजल दोहन क्षमता 300 क्यूबिक मी से भी कम रह गई है।



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    प्रतीकात्मक तस्वीर।


    from Dainik Bhaskar /national/news/jal-shakti-minister-says-chennai-bangalore-will-become-cape-town-if-people-don-t-act-to-s-01675769.html

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