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    महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह नहीं रहे

    बिहार के विभूति भारत की शान आइंस्टाइन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह नहीं रहे। अभी अभी सूचना मिली कि उनका निधन हो गया। वे अपने परिजनों के संग पटना के कुल्हरिया कंपलेक्स में रहते थे आज आले सुबह उनके मुंह से खून निकलने लगा तत्काल परिजन पीएमसीएच लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
    पिछले एक पखवारे पूर्व बीमार पड़े थे तब पीएमसीएच में नेताओं का ताता लगा था। बिहार का मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक उन्हें देखने गए थे। प्रकाश झा ने फिल्म बनाने की घोषणा कर रखी थी। आरा के बसंतपुर के रहने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह बचपन से ही होनहार थे। उनके बारे में जिसने भी जाना हैरत में पड़ गया। छठी क्लास में नेतरहाट के एक स्कूल में कदम रखा, तो फिर पलट कर नहीं देखा एक गरीब घर का लड़का हर क्लास में कामयाबी की नई इबारत लिख रहा था। वे पटना साइंस कॉलेज में पढ़ रहे थे कि तभी किस्मत चमकी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी जिसके बाद वशिष्ठ नारायण 1965 में अमेरिका चले गए और वहीं से 1969 में उन्होंने PHD की।
    वशिष्ठ नारायण ने साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी पर शोध किया जिसके बारे में मैंने मैथ से जुड़े लोगों से बात की, लेकिन ईमानदारी से बता रही हूं कि कुछ पल्ले नहीं पड़ाए लेकिन उन लोगों के मुताबिक शोध बहुत ही शानदार है। यकीनन वक्त वशिष्ठ नारायण के साथ था कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटीए बर्कले में एसिसटेंड प्रोफेसर की नौकरी मिली। उन्‍हें नासा में भी काम करने का मौका मिला यहां भी वशिष्ठ नारायण की काबिलयत ने लोगों को हैरान कर दिया। बताया जाता है कि अपोलो की लॉन्चिंग के वक्त अचानक कम्यूपटर्स से काम करना बंद कर दिया तो वशिष्ठ नारायण ने कैलकुलेशन शुरू कर दियाए जिसे बाद में सही माना गया।
    बहरहाल जैसा की अक्सर होता है लोग विदेश जाते हैं तो वहीं के होकर रह जाते हैंए लेकिन वशिष्ठ नारायण पिता के फरमाबरदार बेटे थे। पिता के कहने पर विदेश छोड़कर देश लौट आए पिता के ही कहने पर शादी भी कर लीए लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था 1973.74 में उनकी तबीयत बिगड़ी और पता चला की उन्हें सिज़ोफ्रेनिया है जिस पत्नी ने सात जन्म साथ निभाने की क़सम खाई
    पीएमसीएच के गलियारे में पिछले दो घंटे से स्ट्रेचर पर महान गणितज्ञ वशिष्ठ नरायण सिंह का डेड बाँडी पड़ा है परिजन अस्पताल प्रबंधन से एम्बुलेंस देने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन प्रबंधन एम्बुलेंस देने को तैयार नहीं है ।
    मीडिया के साथी अभी पहुंचे हैं तो हो हल्ला शुरु हुआ है देखिए कितना वक्त लगता है मतलब जाते जाते भी सिस्टम अपना मक्कारी दिखा ही दिया ।
    हाथ में एक कॉपी जिस पर ये अनवरत कुछ लिखते रहते हैं जिस कमरे में रहते थे उस कमरे के दिवाल पर बस गणित का फॉर्मूला लिखा है ।
    लिखा इवादत क्या कह रहा है किसी को पता नहीं है इसी तरह दर्जनों कॉपी वैसे ही कमरे के कोने में रखा है जिस पर कुछ इसी तरीके के हजारों गणित का फॉर्मूला लिखा हुआ ।
    मुझे लगता है जीते जी जो हमलोगों ने जो किया उस पर अब चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है लेकिन ये जो छोड़कर गये हैं उसका एक स्टडी सेंटर बनना चाहिए जहाँ इनके सारे किताबे और कॉपी को सहेज कर रखा जा सके ताकि कोई उनके किये काम को आगे बढ़ा सके या फिर दुनिया के सामने लाया जा सके ।

    जीवन काल पर एक नजर
    2 अप्रैल 1946  जन्म
    1958  नेतरहाट की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान
    1963  हायर सेकेंड्री की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान
    1964  इनके लिए पटना विश्वविद्यालय का कानून बदला। सीधे ऊपर के क्लास में दाखिला, बी.एस.सी.आनर्स में सर्वोच्च स्थान
    8 सितंबर 1965  बर्कले विश्वविद्यालय में आमंत्रण दाखिला
    1966  नासा में
    1967  कोलंबिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमैटिक्स का निदेशक
    1969 द पीस आफ स्पेस थ्योरी विषयक तहलका मचा देने वाला शोध पत्र  पी.एच.डी दाखिल
    बर्कले यूनिवर्सिटी ने उन्हें ष्जीनियसों का जीनियस कहा
    1971  भारत वापस
    1972-73 आइआइटी कानपुर में प्राध्यापक, टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च  ट्रांबे तथा स्टैटिक्स इंस्टीट्यूट के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन
    8 जुलाई 1973 शादी
    जनवरी 1974 विक्षिप्त रांची के मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती
    1978रू सरकारी इलाज शुरू
    जून 1980 सरकार द्वारा इलाज का पैसा बंद
    1982 डेविड अस्पताल में बंधक
    नौ अगस्त 1989  गढ़वारा खंडवा स्टेशन से लापता
    7 फरवरी 1993 डोरीगंज, छपरा में एक झोपड़ीनुमा होटल के बाहर फेंके गए जूठन में खाना तलाशते मिले
    अक्टूबर 2019 पीएमसीएच के आईसीयू में
    ;ठीक होकर घर लौटे
    14 नवंबर 2019 निधन
    आज अब और कुछ नहीं। सिर्फ विनम्र श्रद्धांजलि।
    धनंजय सिन्हा
    9304612287

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