प्रदर्शनी, सर्कस में खेल दिखाने वाले लाखों लोग भी कोरोना संकट से परेशान
शहर शहर एवं गांव गांव में घूम कर लोगो का मनोरंजन करने वाले परदर्शनी, मेला, सर्कस, जादू, खेल तमाशा ओर मीना बाजार प्रर्दशनी में काम करने वाले लोग एवं छोटे छोटे दुकानदार जो दुकान लगा कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं, ऐसे लाखों की संख्या में असंगठित मजदूर सरकारी व निजी संस्कृति मेला आयोजन में सहभागी बनकर अपना जीवन निर्वाह करते हैं।
आज देश में कोरोनावायरस के दुष्प्रभाव से उनका जीवन संकट में आ गया है। इससे कोई अछूता नहीं है मेला, प्रदर्शनी, सर्कस में खेल दिखाने वाले लाखों लोग भी इस संकट से परेशान हैं। इन लोगों के परिवारों को भूखा मरने की नोबत आ गयी है। लॉकडॉन से पहले जो जहां था वहीं फंसा हुआ हैं। कही किसी शहर मै किसी संस्था या किसी सरकारी दफ़्तर ने इनकी किसी भी तरह से मदद नही की। ओर न ही सरकार के मदद के किसी ड्राफ़्ट में ये शामिल है।
जबकि लॉकडॉन से पहले ये जिस भी शहर में परदर्शनी या मेला लगाते थे उसके बदले ये लाखों रुपए टैक्स के नाम पर सरकार के खातों में जमा करवाते थे। संकट की इस घड़ी में ये कलाकार भारत सरकार से आशा करते हैं कि हमारे लिए भी सरकार की तरफ से सहायता प्रदान की जाए। किसी नी किसी मदद के लिए बने ड्राफ़्ट में हम जैसे लोगों को शामिल किया जाए। जिससे परिवार पर आया संकट दूर हो, और इनकी जीवन रक्षा हो सके।
आज देश में कोरोनावायरस के दुष्प्रभाव से उनका जीवन संकट में आ गया है। इससे कोई अछूता नहीं है मेला, प्रदर्शनी, सर्कस में खेल दिखाने वाले लाखों लोग भी इस संकट से परेशान हैं। इन लोगों के परिवारों को भूखा मरने की नोबत आ गयी है। लॉकडॉन से पहले जो जहां था वहीं फंसा हुआ हैं। कही किसी शहर मै किसी संस्था या किसी सरकारी दफ़्तर ने इनकी किसी भी तरह से मदद नही की। ओर न ही सरकार के मदद के किसी ड्राफ़्ट में ये शामिल है।
जबकि लॉकडॉन से पहले ये जिस भी शहर में परदर्शनी या मेला लगाते थे उसके बदले ये लाखों रुपए टैक्स के नाम पर सरकार के खातों में जमा करवाते थे। संकट की इस घड़ी में ये कलाकार भारत सरकार से आशा करते हैं कि हमारे लिए भी सरकार की तरफ से सहायता प्रदान की जाए। किसी नी किसी मदद के लिए बने ड्राफ़्ट में हम जैसे लोगों को शामिल किया जाए। जिससे परिवार पर आया संकट दूर हो, और इनकी जीवन रक्षा हो सके।