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    बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के संक्रमित मिलने की वजह से बिहार में कोरोना के मामले दोगुने

    बिहार से लेकर ओडिशा और तेलंगाना से लेकर कर्नाटक तक प्रवासी मजदूरों के लौटने की रफ्तार जैसे तेज हो रही है, वैसे ही इनके साथ कोरोनावायरस के घर तक पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में राज्यों के सामने महामारी को रोकने की एक और चुनौती खड़ी हुई है।
    रिकॉर्ड्स के मुताबिक, बिहार में 4 मई से लेकर 13 मई तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए लौटे 4275 प्रवासी मजदूरों के सैंपल्स इकठा किए गए। इनमें 320 की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, यानी प्रवासियों में संक्रमण की दर 7.5 फीसदी है। जबकि पूरे बिहार में इकठा हुए सैंपल्स में अब तक सिर्फ 2.75 फीसदी लोगों की ही टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। बिहार ने अब तक 35 हजार से ज्यादा टेस्ट किए हैं और उसके 953 केस पॉजिटिव मिले हैं।
    बिहार सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या इसी राज्य से है और सभी का लौटना अभी बाकी है। बिहार की 6 अंतरराज्यीय सीमाओं से हर दिन 10 हजार लोग राज्य में पहुंच रहे हैं, जिनकी टेस्टिंग अभी शुरू की जानी है।
    इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के संक्रमित मिलने की वजह से ही बिहार में कोरोना के मामले दोगुने होने में 8.5 दिन का समय अनुमानित है, जो कि देश में कोरोना के केस दोगुने होने के औसत- 12.65 दिन से काफी कम है।

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